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खोल बैठूं जो शिकायतों
का पिटारा किसी रोज़,,
गुम हो जायेंगे जनाब
यहां सबके होश
मैं सही तू गलत का शुरू
हो जाएगा सिलसिला,,
उफान पर आ जाएगा
दबे जज़्बातों का जलजला
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खोल बैठूं जो शिकायतों
का पिटारा किसी रोज़,,
गुम हो जायेंगे जनाब
यहां सबके होश
मैं सही तू गलत का शुरू
हो जाएगा सिलसिला,,
उफान पर आ जाएगा
दबे जज़्बातों का जलजला
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