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समझने लगा है दिल
लफ़्ज़ों की दगाबाजियाँ
एहसासों की फरेबियाँ
जज़्बातों की सौदेबाज़ीयाँ
मिलती नहीं हैं अब
स्पष्टता को शाबाशीयाँ
इतराई इठलाई फिरती हैं
छल और चालाकियाँ
समझने लगा है दिल
दिखावों की कलाबाजियाँ
सच से परहेजियाँ
झूठ की अदाएगियाँ
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