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बोला जिसने जो भी
सबकुछ हँस कर सह गए
फिर भी कुछ रिश्ते
दंभ के बोझ से ढह गए
दुखाया जिसने दिल
उसको भी माफ़ किया
रखा न द्वेष किसी से
ख़ुद को इतना पाक किया
समझा जो न मुझको
उसको भी स्वीकार किया
औरों को दे सम्मान
किसी का ना तिरस्कार किया
लोगों ने इन भावों को
हल्के में ले लिया
करके ख़ुद को दूर सबसे
अब हमने भी किनारा कर लिया
✍️✍️
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