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रिश्तों का दलदल है ये
ज़रा संभल कर रखिएगा क़दम
फस गए जो इक मर्तबा
तो निकल जाएगा दम
अपनों की हमदर्दी देख
पालिएगा ना कोई भ्रम
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रिश्तों का दलदल है ये
ज़रा संभल कर रखिएगा क़दम
फस गए जो इक मर्तबा
तो निकल जाएगा दम
अपनों की हमदर्दी देख
पालिएगा ना कोई भ्रम
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