
Share0 Bookmarks 103 Reads0 Likes
रिश्तों का दलदल है ये
ज़रा संभल कर रखिएगा क़दम
फस गए जो इक मर्तबा
तो निकल जाएगा दम
अपनों की हमदर्दी देख
पालिएगा ना कोई भ्रम
पीठ पीछे साजिशों से
यहां ढाते हैं सितम
व्यर्थ के दिलासों
का रखिएगा ना वहम
अंतर्मन की सच्चाई देख
रह जाएंगे सहम
✍️✍️
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments