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स्तंभ है परिवार का
ज़िंदगी का अस्तित्व हैं
पिता के संरक्षण में
संवरता व्यक्तित्व है
सागर सा गहरा
पर्वत सा विशाल है
मौन है ताकत इनकी
पिता सब्र की मिसाल है
सिर पर हाथ पिता का
भर देता हर घाव है
ज़िंदगी की कड़ी धूप में
पिता इक ठंडी छांव है
ज़िंदगी की कड़ी धूप में
पिता इक ठंडी छांव है
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