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मुकर जातें हैं शब्द
बस यादें रह जाती हैं
दिल होता है जब भारी
आँखें बह जाती हैं
चुप हो जातें हैं लब
ध्वनियां शोर मचाती हैं
वक्त की सुईयां जब
इशारों पर नचाती हैं
थम जातें हैं जज़्बात
एहसासों की नब्ज़
पकड़ में न आती है
धड़कनों के शोर से
सांसें डगमगा जाती हैं
धड़कनों के शोर से
सांसें डगमगा जाती हैं
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