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हर बहते हुए आँसू को
अपने आँचल में
समाँ लेती थी
जब जब होती थी मैं उदास
माँ तब तब
गले लगा लेती थी
हर उठती टीस पर
माँ अपने प्रेम का
मरहम लगा देती थी
बिखरती थी मैं जहाँ जहाँ
माँ झट से समेट लेती थीं
पूछती थी ना कभी कोई सवाल
ना करती थी कोई भी मलाल
मेरी हर ज़रूरत का
माँ रखती थी ख्याल
✍️✍️
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