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हँसी जो मैं तो ज़माना
संग हो गया
रोते ही मेरे
हर शख़्स
थक कर सो गया
बढ़ी जो मैं तो ज़माना
संग चल पड़ा
गिरते ही मेरे
हर शख़्स
रुक कर मुड़ पड़ा
उभरी जो मैं तो सबकी
ख़ास हो गई
बिखरते ही मेरे
सबकी निगाहें
दूर हो गईं
✍️✍️
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