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कुछ ना ठीक होते हुए भी
सबकुछ अच्छा बतलाते हैं
अंदर से जर्जर होते हुए भी
हरवक्त खुश नज़र आते हैं
भीतर ही भीतर ना जाने
कितना कुछ छुपाते हैं
महज़ दिखावे की खातिर
चेहरे को हर रोज़
सुकून का नकाब उढ़ाते हैं
ख़ुद को समझ
ना सके आजतक
मगर औरों को
समझाना चाहते हैं
ना जाने कैसे बेढंगी सी
इस दुनियां की रिवायतें हैं
✍️✍️
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