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हर शाम होती थी चहल पहल
हर दिन लगता था यारों का मजमा
खूबसूरत थे वो दिन जब रहता था
लबों पर हरपल मुस्कुराहटों का नगमा
हर दिन होती थी मुलाक़ातें
हर रोज़ छलकता था अपनेपन का जाम
शानदार थे वो दिन जब मिलता था
अपनों संग चैन ओ आराम
ना जाने कहाँ गए वो दिन
और कहाँ गई वो राहतें
जब होती थी सिर्फ़ और सिर्फ़
सुकून की बरसातें
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