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जाते नहीं छोड़ कर
शिकवे हों या जज़्बात
शूल की तरह चुभते हैं
अपनों के दिए हुए घात
भूले नहीं भुलाते
दर्द भरे लम्हात
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जाते नहीं छोड़ कर
शिकवे हों या जज़्बात
शूल की तरह चुभते हैं
अपनों के दिए हुए घात
भूले नहीं भुलाते
दर्द भरे लम्हात
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