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दिन ढले कई
रातें काफ़ी गुज़र गईं
ढोते ढोते ज़िम्मेदारियाँ
नादानियाँ न जाने किधर गई
बीते पल कईं
लम्हें सारे गुज़र गए
हालात
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दिन ढले कई
रातें काफ़ी गुज़र गईं
ढोते ढोते ज़िम्मेदारियाँ
नादानियाँ न जाने किधर गई
बीते पल कईं
लम्हें सारे गुज़र गए
हालात
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