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खुशियों की दस्तक का ये
दिल कबसे तलबगार है
दर्द की चौखट पर मुस्कुराहटें
हरपल करती गुहार हैं
उलझनों में फंसी ज़िंदगी ,
हुई जाती बेज़ार है
चैन ओ सुकून पाने की खातिर
दिल फिरता बेकरार है
बेचैनियाँ ह
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