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दिल कबसे तलबगार है

Roopali Trehan SrivastavaRoopali Trehan Srivastava January 3, 2022
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खुशियों की दस्तक का ये

दिल कबसे तलबगार है

दर्द की चौखट पर मुस्कुराहटें

हरपल करती गुहार हैं


उलझनों में फंसी ज़िंदगी ,

हुई जाती बेज़ार है

चैन ओ सुकून पाने की खातिर

दिल फिरता बेकरार है


बेचैनियाँ ह

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