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दौर वो नजदीकियों का

मेलजोल का बीत गया

सफ़लता की दौड़ में

आज पैसा जीत गया


दौर वो अपनेपन का

दिली मोहब्बतें रूठ गईं

तुरपाई दिखावों की करते करते

जज़्बातों की सुई टूट गई


दौर वो स्नेह और मान का

बड़प्पन सारा किधर गया

रिश्तों

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