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माँग माँग कर थक गईं ज़ुबान
ख़ामोशी को अब अपना लिया
औरों का मन रखने की ख़ातिर
ख़ुद के दिल को समझा दिया
बोल बोल कर थक गए लफ़्ज़
मौन को अब अपना लिया
औरों के मुताबिक़ चलने की ख़ातिर
ख़ुद की इच्छाओं को गुमराह किया
समझा समझा कर थक गए जज़्बात
एहसासों को अब थाम लिया
हकीकतों को अपनाने की ख़ातिर
हसरतों को बिसरा दिया
हसरतों को बिसरा दिया
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