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इक पुराना ख़्वाब मिला
आँखों की अलमारी में
छूट गया था पीछे जो
बढ़ती ज़िम्मेदारी में
हाथ बढ़ाया मैंने
उसको जो उठाने को
कतराया वो थोड़ा मुझको
फिर से अपनाने को
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इक पुराना ख़्वाब मिला
आँखों की अलमारी में
छूट गया था पीछे जो
बढ़ती ज़िम्मेदारी में
हाथ बढ़ाया मैंने
उसको जो उठाने को
कतराया वो थोड़ा मुझको
फिर से अपनाने को
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