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अब तो बोलना होगा [ Ab To Bolna Hoga ]

rmalhotrarmalhotra January 1, 2022
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अब तो बोलना होगा

कश्मीरी पंडितों के मन की व्यथा - राकेश की कलम से


सच कड़वा था बरसों से चुप था,

वक़्त की गर्द उस पर चढ़ती रही I

ज़ख्म गहरे थे कभी भर नहीं पाए,

चुभन दर्द की दिन-ब-दिन बढ़ती रही I

 

सियासत इतिहास के हर्फ़ मिटाती गयी,

दहशतगर्दी के जुल्म ज़माने से छुपाती रही I

झूठ की हवाएँ अपनी दिशाएँ बदलती रही,

बुद्धिजीवी सोच युवाओं को गुमराह करती रही I

सच तो आखिर सच है,

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