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ऐ मन तुझे खुद को समझाना हैं,
जो कहते है भैया तुम से नहीं हो पाएगा,
उन्हें कर के दिखाना है,
सूरज ना बन पाओ तो कोई बात नहीं,
मगर चाँद तो तुम्हें बन कर ही दिखाना है,
भीड़ से निकलकर रोशनी में आना हैं,
ऐ मन तुझे खुद को समझना हैं।
लेखक- रितेश गोयल 'बेसुध'
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