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परिंदे और मैं

Rishabh KauravRishabh Kaurav October 20, 2021
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उड़ते हुए यह हस्ते हैं या मुस्कुराते हैं
यह परिंदे छेड़ते हैं या मुझ पे तरस खाते हैं।

बादलों को चीरते जो हौसला आंखों में होता हैं
यह सबको दिखता हैं या मुझको ही दिखलाते हैं।

यूं गुट साथ में कोसों कोसों दूर

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