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मेरे अस्तित्व की पहचान मैं, मेरे जीवन का मान मैं, मातृशक्ति मैं, राष्ट्रशक्ति मैं, तेरा अभिमान मैं.....
राष्ट्र का निर्माण है तुमसे।
मेरे अस्तित्व की पहचान है तुमसे।।
तेरा अमूल्य दान मेरे जीवन में।
मेरे जीवन में सम्मान है तुमसे।।
शक्ति का आधार तुम्हीं हो।
बटी हुई पर, संसार तुम्हीं हो।।
चौखट पर सीमा रख दी तुमने।
पर सड़कों पर भी तुम्हीं दिखी हो।।
संसद तक पहुँची पैठ तुम्हारी।
उड़ने की चाहत असमानों तक पहुँची।।
समंदर में बांधे तूफानों का रास्ता।
पर्वत को भी तुम भेद कर बैठी।।
एक पुरूष की शिक्षा सीमित।
परिवार पढ़ा जो महिला हुई शिक्षित।।
तान कर सीना गर्व से चलता हूँ।
संस्कार तेरे ही, तो मैं बढ़ता हूँ।।
मातृशक्ति तुम हो, राष्ट्रशक्ति हो तुम।
हमारे इतिहास में भक्ति हो तुम।।
बात तुम्हारे अमूल्य योगदान की।
राष्ट्र बदल सकती हो तुम।।
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