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मैं थक गई कहते कहते मेरे ही रह जाओ तुम
इतनी मोहब्बत कर के भी तन्हा रह गए हम।

थोड़ी सरकती आस या भींग रहा मौसम भी
सुनने की उम्मीद थी तुमसे कहते रह गए हम। 

ग़म-गुज़ारिश करता है लफ़्ज़ों में लिख जाओ
लिखी सारी आफ़त तेरी हर्फ़ों में रह गए हम।

सुलग रही है चिंगारी ख़्यालों की भीनी भीनी
बिखरी राख लपेटे तुझमें बिखरे रह गए हम।

कह देते कुछ अफ़साने यादों की फेहरिस्त से
लफ़्ज़ों की आना-कानी में उलझे रह गए हम।

मिल कर आयी है यादें फिर तुझसे ख़्वाबों में
नींद में बांधा चादर का कोना ढूंढते रह गए हम।

आतिश-ए-चश्म के जलवे आज दिखे तुझ जैसे
ज़िस्म सुलगता हो तुझमें ऐसे जलते रह गए हम

आस जगी "रश" साँसों में हलचल भी कहती है
मोहब्बत के तन्हा सफ़र में तन्हा रह गए हम।
#रश्मि

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