तू अपने पास रख's image
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ये तेरा शबाब और हुस्न की नुमाईश मुझे नहीं चाहिए, तू अपने पास रख।

महताब से दिल लगा बैठा हूँ, तेरी रात तू अपने पास रख।


यूँ आते जाते मिलना, मेरी आदतों और बातों पर तेरा टोकना,

मुझे खलिश देता है, तेरी हिफाजत तेरे पास रख।


मैं मेरी आश्ना के इश्क का कफ़न ओढ़े बैठा हूँ,

अब तू तेरा तमाशाई-ए-क़बा तेरे पास रख।


सुना है बहुत तलबगार-ओ-रक़ीब हैं तेरे,

तो तेरी ख़ैरात तू अपने पास रख।


मेरा महबुब बातें सुनता है मेरी, तवज्जो रखता है मुझ पर,

अब ये तेरा ग़ौर तू अपने पास रख।


वो रोज सहर में मुझे मुहब्बत में डूबोकर निकालता है,

शाम तक टंगा रहता हूँ,पर फिका नहीं पढ़ता मैं,

अब तेरी मुहब्बत-ए-बोसीदा-स्याही अपने पास रख।


मेरा दिल, ज़मीर, जिस्म, इस्म, सब मेरी आश्ना के पास है,

बस मेरी यादें रक्खी हैं, सो तू अपने पास रख।

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