मेरे घर अख़बार आता है's image
Poetry1 min read

मेरे घर अख़बार आता है

Rhythm SharmaRhythm Sharma February 18, 2023
Share0 Bookmarks 17 Reads0 Likes

मेरे घर सुर्ख अख़बार आता है,

खून से लतपत,

उसका हर सफ़हा भीगा रहता है लहू से,

सफ़हे पलटते-पलटते मेरे हाथों पर सुर्ख रंग चढ़ जाता है,

हजार बार धोने पर भी नहीं उतरता।

इस कदर चढ़े रहते है, गिला-ओ-शिकवे,

कभी निंदा करता है किसी की तो कभी ताने देता है,

रोजनामा भरा आता है बेसबब वारदात से,

कभी खुल जाए बासी अख़बार तो बू आती है, खून की।

ऐसा नहीं है की, ख़ुशख़बरी नहीं लाया करता,

पर वो ख़बरें खून के साए में छुप जाया करती है।

रोज किसी न किसी का लहू लाया करता है,

रोजनामा आता है मेरे घर पर,

हर सफ़हा उसका लहू में डूबा रहता है।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts