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अंधेरा छाया रहता है आँखों पर,
नींद नहीं आती, क्या करूँ पलकों को बंद कर,
तकदीर ने काली पोत रखी है, आँखों पर।
दुनिया कहती हैं,
आँखों के इशारे सब कुछ बयाँ कर देते हैं
पर न मैं आँखों से बात कर सकता हूँ,
न समझा सकता हूँ।
तुम कहते हो की आज सूरज बड़े जोश में है,
पर जब किरणें मेरे बदन पर पड़ती हैं,
और जिस्म जलता है, तब समझ आता है,
सूरज जोश में है और मैं देख नहीं सकता।
तुम लोगों को देख कर परख लेते हो,
पर मुझे थोड़ा समय लगता है,
मैं देख नहीं सकता पर सुन कर समझ लेता हूँ।
तुम बातें करते हो की दुनिया रंग-बिरंगी है,
लेकिन सारे रंग मेरी आँखों में आकर सिमट चुके ह
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