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अमीरों के लिए "मौसम".....
महज़ बदला हुआ वातावरण I
क्यूँकि, पास मनचाहे संसाधन उपकरण II
ग़रीबों के लिए "मौसम".....
तपता हुआ बदन,
टपकती हुई छत,
अध-ढके जिस्म की सिहरन ठिठुरन I
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