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घंटो तक कहीं जो रुकी रहे,
उसे रेल नहीं कहते
बच्चे आपस में न उलझें तो,
उसे खेल नहीं कहते
भारी छूट ना मिले अगर,
उसे सेल नहीं कहते
कोशिशें जारी रखे इंसां तो,
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घंटो तक कहीं जो रुकी रहे,
उसे रेल नहीं कहते
बच्चे आपस में न उलझें तो,
उसे खेल नहीं कहते
भारी छूट ना मिले अगर,
उसे सेल नहीं कहते
कोशिशें जारी रखे इंसां तो,
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