घायल विचार's image
Poetry1 min read

घायल विचार

AbhishekAbhishek August 29, 2021
Share0 Bookmarks 54 Reads0 Likes

हालातों की ठोकरें खा कर

घायल हो जाता है

जब कोई विचार

और तड़पता रहता है

ज़ेहन के व्यस्त रस्ते पर

तो इससे पहले कि, 

तोड़ न दे दम कहीं ! 

उसे कलम के ऐम्बुलेंस से

भावनाओं के अस्पताल ले जाकर

काग़ज़ों के बिस्तर पे

सुला देता हूँ

और हौले हौले से

लफ़्ज़ों की चादर

ओढ़ा देता हूँ


 - अभिषेक

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts