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न देखा होगा लोकतंत्र ने
ऐसा कालजयी सज्जन
उन्मुख विचारों से जिनके
गूँजे, संसद के दोनों सदन
और काव्य सरिता में डूबा
हर सुनने वाले का मन
वाणी सौम्य, व्यक्तित्व सरल
भाषा-ज्ञान, अद्भुत प्रबल
साहित्य की धारा अविरल
संघर्ष से खिलाया कमल
आलोचक, चाहे विरोधी दल
सभी को बनाया कायल
देते रहेंगे प्रेरणा शाश्वत
न केवल, आज और कल
सर्वप्रिय भारत रत्न "अटल "
- अभिषेक
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