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माँ-बाप इनके मजबूर
शिक्षा से ये कोसों-दूर
किताबों से,
नहीं कोई नाता I
बस, रोटी कमाने का
हुनर है आता I
क्या ग़रीबी का है यही दस्तूर ?
या व्यवस्थाओं का है सारा क़ुसूर I
कई बच्चे, देश का भविष्य नहीं !
बनते हैं सिर्फ़ "बाल मज़दूर" !
- अभिषेक
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