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अमीर देता है ग़रीबों को तोहफ़े की तरह गाली
ग़रीब करता है फिर भी उसके आशियाने की रखवाली
अमीर कर लेता है मनचाही फ़ज़ा आस-पास
ग़रीब करता है पसीने से शीतलता का आभास
अमीर तन को गरमाता है उष्ण मख़मली पोशाक से
ग़रीब ठंड को भगाता है सिकुड़ते जिस्म के लिहाफ़ से
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