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सुबह की पहली किरन ये पैगाम लाए
मेरी आंख खुले और तेरा दीदार हो जाए
मेरी चाहतों का मुझे मिले ये सिला
उमर भर के लिए तू मेरे नाम हो जाए
इश्क की दीवारों से हम बनाए आशियाना
और खुशियां हमारी मेहमान हो जाए
हर लफ्ज़ में तेरी चाहत लिखूं में
मेरा दिल धड़कती हुई किताब हो जाए
बगिया के फूलो सा तेरा दिल
मेरी मोहब्बत खिलता हुआ गुलाब हो जाए
मुझमें बस जाए तू इस तरहा
मेरा इश्क़ हदों से पार हो जाए
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