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अखरते रहे मुझमे तुम जब मै बिखर गया,
आयी ऋतू बसंत की तब मै निखर गया।
नए लोगों से दिल को लगा तो लिया हमने,
देख के नयी हरियाली लगा मै संवर गया।
तुम भी तो टूटे थे जब हम दोनों छूटे थे,
सूखा चमन जो था वो फूलों से भर
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