
Share0 Bookmarks 31 Reads0 Likes
इसी दिन से
सुरु हुई कहानी मेरी,
क्या पता
कब वो खत्म हो जाएगी।
मिला है बीच में
कुछ वक़्त जीने को,
चलो जी लेते हैं,
कुछ यादें बन जाएगी।
जो बीते दिनों
मुझे ही काम आएगी,
या फ़िर
मेरे अपनों को मेरी याद दिलाएगी।
वो कभी मुझे बहुत हसाएगी,
कभी उन्हें बहुत ही रुलाएगी।
इसी लिए कहता फिरता हूं सब से,
ज़िंदगी मिली है
तो चलो जी लेते हैं सकूं से,
क्या पता ये कहानी कहां जा के रुक जाएगी।
-रवि नकुम (ख़ामोशी)
सुरु हुई कहानी मेरी,
क्या पता
कब वो खत्म हो जाएगी।
मिला है बीच में
कुछ वक़्त जीने को,
चलो जी लेते हैं,
कुछ यादें बन जाएगी।
जो बीते दिनों
मुझे ही काम आएगी,
या फ़िर
मेरे अपनों को मेरी याद दिलाएगी।
वो कभी मुझे बहुत हसाएगी,
कभी उन्हें बहुत ही रुलाएगी।
इसी लिए कहता फिरता हूं सब से,
ज़िंदगी मिली है
तो चलो जी लेते हैं सकूं से,
क्या पता ये कहानी कहां जा के रुक जाएगी।
-रवि नकुम (ख़ामोशी)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments