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तुझे अपनी धरती बना , तेरा सूरज बनना चाहता था।
अपनी रोशनी बिखेर तुझे रोशन करना चाहता था।।
न जाने कोन बादल बनकर आया हमारे दरम्यां और
धूप की किरन से पहले मेघ की बूंद समा गई तुझमे
पल में पराया हो गया जो तेरा हमसफ़र बनना चाहता था।।
● रवि कान्त कुड़ेरिया ●
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