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तृप्त हूं मैं तेरे प्रेम से,
मेरी किस्मत जुड़ी है तेरे नाम से,
उम्र भर तेरे साथ चलना है,
मैं नदी, तू समुद्र, मुझे तुझमें ही बहना है,
तू फूल है, मैं खुशबू हूं,
तू सूर्य है, मैं रश्मि हूं,
क्यों मैं मिथ्या अहंकार करूं।
मेरा दर्द तू, दर्द का एहसास भी तू,
मेरी धड़कनें है तुझसे, धड़कनों में शुमार भी तू,
तू हर पल जीते, मैं हर पल तुझ पर हारूं,
मेरी एक - एक सांस, मैं तुझपर वारू,
क्यों मैं तुझसे कोई तकरार करूं।
तू मुझे सच्चेपन से चाहे,
मेरी सादगी तुझको भाये,
कौन मुझे समझता है,
कौन नहीं,
इस कशमकश में,
खुदगर्ज जमाने के खातिर,
क्यों मैं खुद को बर्बाद करूं।
सजन, क्यों मैं किसी और से प्यार करु।
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