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वो सफ़ैद अंधेरों के परिंदे
हैं जो थोड़े हल्के उजले,
उड़ने का तो मन भी करता है
पर क्यूं थोडे सहमे सहमे
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वो सफ़ैद अंधेरों के परिंदे
हैं जो थोड़े हल्के उजले,
उड़ने का तो मन भी करता है
पर क्यूं थोडे सहमे सहमे
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