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खौफ है तुझे भला किस बात का

वजूद ही तेरा बेख़ौफ़ जात का

करवटें ले हज़ार चाहे,

वो आँधियाँ, ये आंधियां

और ज़ालिमों की बस्तियां,

चंद लम्हों की हैं वो

फिर ख़ाक की निशानियां

वजू

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