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मरीज़े इश्क़ हैं
जख्म छुपाने की आदत अपनी
न शिफ़ा की चाहत , ना कोई दवा मुफीद है
बस फिरते हैं, तनहा तनहा खुद ही
न ही कोई हमसफ़र न कोई मंजिल करीब है…
“rashid ali ghazipuri”
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मरीज़े इश्क़ हैं
जख्म छुपाने की आदत अपनी
न शिफ़ा की चाहत , ना कोई दवा मुफीद है
बस फिरते हैं, तनहा तनहा खुद ही
न ही कोई हमसफ़र न कोई मंजिल करीब है…
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