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नीन्द से बैर काफ़ी रहा हमारा, जो कि रातों में वो ना आए और तुझसे हमारी मुलाक़ात ना हो पाए...।
क्या करते क्योंकि सपनो में तो मिला करते थे तुम...
आज जब तुम यहाँ हो तो नीन्द रूठ बैठी है ....
जाग बैठें है हम उसके होते हुए,
क्योंकि रातें गुजर रही है तुझे निहारने में...
-Ranjeet Singh Chawla
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