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कभी सोच में
तो कभी विचार में
शब्द बिखरे पड़े हैं व्यवहार में
कभी क्लान्त में
तो कभी विश्राम में
शब्द बिखरे पड़े हैं एकांत में
कभी संगीत में
तो कभी साज़ में
शब्द बिखरे पड़े हैं आवाज़ में
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