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प्यारे सेंटा,
आज मैं तुमसे कुछ लेना नहीं बल्कि तुम्हें कुछ देना चाहती हूँ। शब्दों के गुलदस्ते से सजा एक छोटा-सा उपहार देना चाहती हूँ। तुम भी तो काफी थक गए होंगे ना, सभी के बीच खुशियां बांटते-बांटते। बस, अब थोड़ा बैठो-सुस्ताओ, और भेंट में मिले अपनी तारीफ के ये कुछ शब्द अपने झोले में ले जाओ।
पता है सेंटा, मुझे तुम्हारा 'सुंदर-सा सफेद दाढ़ी-मूंछों वाला चेहरा, लाल कपड़े पहने तुम और कंधे पर टंगा तुम्हारा बड़ा-सा वो थैला' काफी
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