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तेरे बदन की अंगड़ाईयाँ भी
मुझको देख जवाँ होती थी
तुमने समझी थी सब बातें
इशारों में जो बयाँ होती थी
एक काम को दो-दो बारी
करती थी या हो जाता था
केवल तुम ही जगती थी
जब सारा कुनबा सो जाता था
अब तो सब कुछ भूल गयी हो
गैरों के अनुकूल गयी हो
साँसों की पुर्वाइयों पर अब
इससे ज्यादा भार क्या होगा
ये सब भी ग़र प्यार नही तो
इससे ज्यादा प्यार क्या होगा
जब भी मुझसे दूर हुए हो
इस तन-मन को आधा करती हूँ
हम साथ रहेंगे ना बिछड़ेंगे
कई जन्मों का वादा करती हूँ
वादे सारे तोड़ के चलदी
बीच राह मे छोड़ के चलदी
हृदय पर तुम ही बतलाओ
इससे गहरा वार क्या होगा
ये सब भी ग़र प्यार नही तो
इससे ज्यादा प्
मुझको देख जवाँ होती थी
तुमने समझी थी सब बातें
इशारों में जो बयाँ होती थी
एक काम को दो-दो बारी
करती थी या हो जाता था
केवल तुम ही जगती थी
जब सारा कुनबा सो जाता था
अब तो सब कुछ भूल गयी हो
गैरों के अनुकूल गयी हो
साँसों की पुर्वाइयों पर अब
इससे ज्यादा भार क्या होगा
ये सब भी ग़र प्यार नही तो
इससे ज्यादा प्यार क्या होगा
जब भी मुझसे दूर हुए हो
इस तन-मन को आधा करती हूँ
हम साथ रहेंगे ना बिछड़ेंगे
कई जन्मों का वादा करती हूँ
वादे सारे तोड़ के चलदी
बीच राह मे छोड़ के चलदी
हृदय पर तुम ही बतलाओ
इससे गहरा वार क्या होगा
ये सब भी ग़र प्यार नही तो
इससे ज्यादा प्
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