
जीवन एक संघर्ष
अब बारी उसी की थी, उसने खुद पे आई मुसिबत का कारण जान लिया था। वो देवी माँ की चरणों में गिरकर अपनी इच्छामृत्यु की माँग करते हुए कहा ’’ हे देवी माँ, मैं अब जीना नहीं चाहता, इस संसार से अब उब चुका हूँ, हमको अपनी शरण में ले लीजिए। ’’ यह बोलकर नारायण मौन हो गया। उसी क्षण एक बुजूर्ग, अस्सहाय मंदिर में प्रवेश किए और देवी माँ की मुर्ति के सामने नतमस्तक हो बोले ’’ हे देवी माँ, आपके द्वारा दिए गए हर दर्द तकलीफ को झेल सकता हुँ, कृपया अभी मृत्यु मत दीजिएगा। अभी मैंने कुछ देखा ही कहाँ है ? अभी तो पोते-पोतियों का ब्याह देखना बाँकी है। ’’ उस बूजुर्ग की बात सुनकर नारायण को आभाष हो आया कि दोनों की उम्र में लगभग 50 वर्ष का अन्तर है।
अंततः नारायण वहाँ से निकलकर जीवन की दुसरी पारी को और भी संघर्षशील बनाने में जूट गया।
समाप्त
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