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उर गंभीर सखी नैना चंचल,
मलय पवन सा परिमल आँचल,
मृदुल हास निर्झर सा निर्मल,
उन्मुक्त घटा से श्यामल कुन्तल,
संग करे हृदय प्रतिपल शीतल।
- राजीव ' हैरान '
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उर गंभीर सखी नैना चंचल,
मलय पवन सा परिमल आँचल,
मृदुल हास निर्झर सा निर्मल,
उन्मुक्त घटा से श्यामल कुन्तल,
संग करे हृदय प्रतिपल शीतल।
- राजीव ' हैरान '
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