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वो आजकल कुछ कम बोलते हैं,
बहुत आहिस्ता मेरे सनम बोलते हैं,
हुस्न और इश्क तकाबुल है शायद,
बातों में उनकी दर्द-ओ- ग़म बोलते हैं.
- राजीव ' हैरान '
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वो आजकल कुछ कम बोलते हैं,
बहुत आहिस्ता मेरे सनम बोलते हैं,
हुस्न और इश्क तकाबुल है शायद,
बातों में उनकी दर्द-ओ- ग़म बोलते हैं.
- राजीव ' हैरान '
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