वक़्त और हम's image
Share0 Bookmarks 49784 Reads0 Likes

वक़्त बड़ी बेहरहमी से आजमाता है आज

कौन कौन से कसूर फिर बताता है "राज"

उनके दामन पे एक दाग भी नज़र नही आता

हमारी सादगी को भी मैला बताता है आज 


भीड़ का चेहरा अक्सर ही एक रंग देखा है 

सच को अकेले कही खड़ा देखा है आज 

कुछ इल्ज़ाम सर पर ले लेना तुम "राज"

बेगुनाही के सबूत तुम कहाँ ढूंढोगे आज 


दरिया है मतलब की रिश्तो के दरमियाँ 

बरसती है जो आँखों से बेमतलब है आज

किस को यहाँ हमनवा बताये हम यहाँ पर

हालात पे टिके देखे है रिश्तो को आज 


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts