चंचल मन's image
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कर में मदिरा पात्र नहीं पर 

मन में मादकता छाई। 

नैनों से मदिरा छलकाती 

जब तुम पास कहीं आई। 


सार्वजनिक जगहों पर पीना मना 

सभी ने बतलाया। 

किन्तु अकेलेपन में आकर 

जाम ये किसने पिलवाया?


जग है सुन

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