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" कौन है वह "
कौन है वह जो कंदराओं में विचरता ,
पाहनो में पुष्प खिलाने की बात करता ,
कौन है वह .....
वह जब नाम लेकर मेरा पुकारता ,
प्रतिध्वनि की गूंज से हिमालय भी सहमा करता ,
कौन है वह .......
निरंतर ढूंढता है घाटियों में
वह मेरी आवाज को ,
व्यथित होता नही
सजाना सोचता है वह
मेरे हर साज को ,
कौन है वह जो काँटों से प्रेम करता ,
कौन है वह......
द्रवित कर बादलों को
ताप वह अपना दिखा देता ,
खुद द्रवित हो , सलिल बन
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