
Share0 Bookmarks 243 Reads1 Likes
तू ही नींद है तू ही ख्वाब है।
तू ही दरिया है तू ही आब है।।
तू शराबी है तू ही साकी है।
तू ही मयख़ाना तू शराब है।।
तू ही इश्क़ है तू ही कशिश है।
तू ही हुस्न तू ही शबाब है।।
तू ही पीर है तू ही खुदा है।
तू ही बन्दगी तू आदाब है।।
तू ही रहनुमा तू ही रहगुजर।
तू ही राही तू ही नवाब है।।
तू ही माशूक़ तू ही माशूका।
तू ही तिश्नगी तू हिजाब है।।
तू ही गीत है तू ही ग़ज़ल है।
तू ही शायरी की किताब है।।
~राघवेंद्र सिंह 'रघुवंशी'
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments