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वो मिलने चल पड़े हैं

R N ShuklaR N Shukla September 9, 2021
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दुनिया करवटें बदल रही है

धरती गगन से मिल रही है।

चंद्रकिरणें जलपरी-सी,

चल पड़ीं सागर से मिलने 

देख!यह अद्भुत नजारा

मन भी सागर का यूँ, 

मचलने लगा है

बादलों की ओट ले, 

मिलने चला है...

कौन है जो–

रोक सकता है इन्हें

जब उमंगें 

भर उठीं हैं नेह की

रुक नहीं सकते कभी

ये रोकने से

अब, जो मिलने– 

चल पड़े तो चल पड़े हैं...



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